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सूरज के बाद चीन ने बनाया नकली चांद, जो गुरुत्वाकर्षण को कर देगा पूरी तरह से गायब
इसकी सतह को चांद की चट्टानों और धूल जैसा तैयार किया गया है।इसका वजन भी चांद पर मौजूद धूल-पत्थर के जितना रखा गया है।चांद पर गुरुत्वाकर्षण धरती के छठे हिस्से के बराबर है।
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News India
- Published On :
20-Jan-2022 04:43 pm
नई दिल्ली:- नकली चांद'का व्यास लगभग 2 फीट का होगा।इसकी सतह को चांद की चट्टानों और धूल जैसा तैयार किया गया है।इसका वजन भी चांद पर मौजूद धूल-पत्थर के जितना रखा गया है।चांद पर गुरुत्वाकर्षण धरती के छठे हिस्से के बराबर है।
चीन का अंतरिक्ष कार्यक्रम तेजी से बढ़ रहा है।‘कृत्रिम सूरज’के बाद देश ने अब एक कृत्रिम चांद भी बना लिया है।इसको बनाने का मकसद भविष्य में चुंबकीय शक्ति से चलने वाले यान और यातायात के नए तरीके खोजने और चांद पर इंसानी बस्ती बनाने का है।चीन के वैज्ञानिकों ने अभी इसका एक छोटा प्रयोग किया है। इसके बाद इस साल के अंत तक एक ताकतवर चुंबकीय शक्ति वाला वैक्यूम चैंबर बनाएगा।
चांद की चट्टानों और धूल जैसा तैयार किया
नकली चांद का व्यास लगभग 2 फीट का होगा। इसकी सतह को चांद की चट्टानों और धूल जैसा तैयार किया गया है। इसका वजन भी चांद पर मौजूद धूल- पत्थर के जितना रखा गया है।चांद पर गुरुत्वाकर्षण धरती के छठे हिस्से के बराबर है। नई डिजाइन के अंदर आर्टफिशल ग्रैविटी के असर से प्रोत्थापन दिखाने के लिए शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र का इस्तेमाल किया गया है।टीम को इसकी प्रेरणा रूस के फ्रिजिसिस्ट आंद्रे जीम से मिली जिन्होंने चुंबकीय क्षेत्र की मदद से एक मेंढक को हवा में तैराया था। जीम को इसके लिए नोबेल पुरस्कार भी मिला था।
चांद की ऐसी सतह पहली बार धरती पर बनाई जाएगी
चाइना यूनिवर्सिटी ऑफ माइनिंग एंड टेक्नोलॉजी के जियोटेक्नीकल इंजीनियर ली रुईलिन ने कहा कि इस वैक्यूम चैंबर को पत्थरों और धूल से भर दिया जाएगा, जैसे चांद की सतह पर होती है। चांद की ऐसी सतह पहली बार धरती पर बनाई जाएगी। इसका छोटा प्रयोग हम कर चुके हैं,जो सफल रहा है। लेकिन अगले प्रयोग में कम गुरुत्वाकर्षण शक्ति लंबे समय तब बनाए रखने के लिए इस प्रयोग को ज्यादा दिन तक चलाने का प्लान है।ली रुईलिन ने कहा कि हम यह प्रयोग पूरी तरह से सफल करने के बाद इस एक्सपेरिमेंट को चांद पर भेजेंगे। जहां पर धरती की ग्रैविटी का सिर्फ 6ठां हिस्सा ही गुरुत्वाकर्षण है।
चीन का इरादा साल 2030 तक चांद पर ऐस्ट्रोनॉट भेजने का
दरअसल,चीन का इरादा साल 2030 तक चांद पर ऐस्ट्रोनॉट भेजने का है। वह रूस के साथ मिलकर चांद पर बेस बनाना चाहता है। ऐसे में नया सिम्यूलेटर चांद के पर्यावरण को समझने और उसके हिसाब से उपकरण तैयार करने में मदद करेगा। कम गुरुत्वाकर्षण के कारण धूल और चट्टानें भी धरती की तुलना में अलग होती हैं।चांद पर वायुमंडल नहीं है और वहां तापमान भी तेजी से बदलता है।गौरतलब है कि चीन ने पहले ही अपने चंद्र अन्वेषण कार्यक्रम के चौथे चरण को मंजूरी दे दी है,जो भविष्य में चांग’ई-6,चांग’ई-7 और चांग’ए-8 मिशनों के माध्यम से चंद्रमा और चंद्र अन्वेषण पर एक शोध केंद्र के निर्माण को देखेगा।
चांग’ई -7 अंतरिक्ष यान को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लॉन्च किया जाएगा, इसके बाद चांगे-6,जो सतह से नमूने लौटाएगा।बीजिंग के पास पहले से ही 2030 तक अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्र सतह पर उतारने की योजना है क्योंकि वह लो अर्थ ऑर्बिट में अपने अंतरिक्ष स्टेशन का निर्माण जारी रखता है।बता दें कि हाल ही चीन ने ‘कृत्रिम सूर्य’का सफल परीक्षण किया है जो असली सूर्य से पांच गुना ज्यादा ताकतवर है। हाल ही में एक टेस्ट में इसे 70 मिलियन डिग्री सेल्सियस तापमान पर लगभग 20 मिनट तक मेंटेन किया गया था।
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