यूपी में पितृपक्ष में हुआ कैबिनेट विस्तार.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 26 सितंबर को अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करके हिंदू धर्म की एक पुरानी मान्यता को नकारने का काम किया है। भारतीय संस्कृति में माना जाता है कि पितृपक्ष के खत्म होने के बाद ही किसी नए कार्य का शुभारंभ करना चाहिए। CM योगी अपने भाषणों में लगातार भारतीय संस्कृति और हिंदू धर्म की चर्चा करते रहते हैं। फिर ऐसी क्या मजबूरी आई कि CM योगी आदित्यनाथ ने पितृ पक्ष के खत्म होने का इंतजार नहीं किया और अपने मंत्रिमंडल का विस्तार कर दिया।
योगी आदित्यनाथ यूपी के CM होने के साथ-साथ गोरखनाथ मंदिर और पीठ के महंत भी हैं। इस नाते उनसे अपेक्षा रहती है कि योगी आदित्यनाथ अपने धार्मिक संस्कारों और मान्यताओं से हटकर कोई काम नहीं करेंगे। योगी आदित्यनाथ के CM पद की शपथ लेने के समय कुछ मान्यताओं तो ध्यान में रखा गया था। योगी आदित्यनाथ ने 2017 में जब मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तो उस समय हिंदू मान्यता के हिसाब से खरमास चल रहा था। इसे देखते हुए आदित्यनाथ योगी नाम से मुख्यमंत्री के पद की शपथ उन्होंने ली। मुख्यमंत्री आवास पर भी शुरू में आदित्यनाथ योगी नाम ही लिखा गया था। बाद में उसे बदलकर योगी आदित्यनाथ कर दिया गया।
योगी आदित्यनाथ ने ऐसी कई धार्मिक मान्यताओं को तोड़ने का काम किया है, जिसकी उम्मीद एक धार्मिक व्यक्ति से नहीं की जा सकती है। हिंदू धर्म में सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण के समय भोजन नहीं करने की मान्यता है। जबकि CM योगी ने वाराणसी में 2018 में एक कार्यक्रम के दौरान चंद्रग्रहण के समय भोजन करके इस मिथक को तोड़ने का काम किया।
मंत्रिमंडल विस्तार... https://t.co/vlgu5VF9Ug
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) September 26, 2021
यूपी में कई वर्ष से ये मिथक भी प्रचलित हो गया कि जो भी मुख्यमंत्री नोएडा आता है, उसकी कुर्सी छिन जाती है। इसकी परवाह नहीं करते हुए CM योगी आदित्यनाथ कई बार नोएडा आ चुके हैं। अभी हाल ही में योगी गुर्जर-प्रतिहार सम्राट मिहिरभोज की प्रतिमा के अनावरण समारोह में ग्रेटर नोएडा पहुंचे थे।
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योगी के सामने सबसे बड़ी चुनौती भाजपा को 2022 में दोबारा सत्ता में वापस लाना है। अगर योगी आदित्यनाथ ऐसा करने में सफल रहे तो ये मान लेने में कोई हर्ज नहीं होगा कि गोरखनाथ मंदिर के महंत वास्तव में कई प्रचलित मान्यताओं और मिथकों को तोड़ने की क्षमता रखते हैं।
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