महंत नरेंद्र गिरी की मौत के मामले में संपत्ति विवाद से लेकर ब्लैकमेलिंग तक, कई चीजों पर पुलिस की नज़र
नई दिल्ली: प्रयागराज के बाघम्बरी मठ में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि का शव संदिग्ध परिस्थितियों पाया गया। अभी तक ये साफ नहीं हुआ है कि उन्होंने आत्महत्या की है या फिर उनकी हत्या कर किसी ने उनके शव को फंदे से लटकाया है। इस मामले में पुलिस की जांच जारी है। महंत नरेंद्र गिरी के चेले आनंद गिरी सहित दो लोगों को हिरासत में लिया गया है। पुलिस इस हाई प्रोफाइल मामले की जांच में संपत्ति विवाद से लेकर ब्लैकमेल किए जाने की आशंका जैसे कई बिन्दुओं पर नज़र रखे हुए है।
बताया जा रहा है कि इस पूरे मामले में समाजवादी पार्टी की सरकार में राज्यमंत्री रहे महंत नरेंद्र गिरी के एक करीबी पर भी पुलिस की नजर है। ये भी कहा जा रहा है कि महंत नरेंद्र गिरी को एक वीडियो के जरिए ब्लैकमेल किया जा रहा था। पुलिस को फोन कॉल के डाटा से कई जानकारियां मिली है। इसके आधार पर भी जांच को आगे बढ़ाया जा रहा है।
यूपी के एडीजी (लॉ एंड आर्डर) प्रशांत कुमार ने कहा कि कोई भी व्यक्ति गिरफ़्तार नहीं है, हिरासत में हैं। पूछताछ के बाद अगर गिरफ़्तार करने का आधार होगा तो आगे की कार्रवाई करेंगे। जो भी तथ्य सामने आएंगे उस पर निष्पक्ष विवेचना करेंगे। इस मामले में समय नहीं लगेगा, चीज़ें जल्द साफ हो जाएंगी।
महंत नरेंद्र गिरी का संत समाज में था काफी रसूख
महंत नरेंद्र गिरी अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और मठ बाघम्बरी गद्दी के साथ ही संगम तट पर स्थित लेटे हनुमान मंदिर के महंत थे। अखाड़ा परिषद देश के धार्मिक संतों की एक बहुत बड़ी गद्दी है। अखाड़ा परिषद देश में मौजूद सभी अखाड़ों का मुख्य संगठन है। देश भर में इनके भक्त हैं।
शिष्य से था मतभेद
कुछ दिन पहले उनका अपने शिष्य आनंद गिरि से विवाद हुआ था। आनंद गिरि को अखाड़ा परिषद और मठ बाघम्बरी गद्दी के पदाधिकारी के पद से हटा दिया गया था। इस दौरान दोनों ने एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप भी लगाए थे। बाद में इसी साल मई में दोनों के बीच सुलह हो गई थी। आनंद गिरी ने अपने गुरु नरेंद्र गिरी का पैर पकड़कर माफी मांगी थी। इसके बाद नरेंद्र गिरी ने आनंद गिरी को माफ कर दिया था। स्वामी आनंद गिरी पर अपने परिवार से संबंध रखने और मठ और मंदिर के धन का दुरुपयोग करने का आरोप लगा था।
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सभी मुद्दों पर खुलकर रखते थे राय
महंत नरेंद्र गिरी धार्मिक और राजनीतिक मुद्दों पर मुखर राय रखते थे। नरेंद्र गिरी ने तालिबान का समर्थन करने वालों को आतंकी और देशद्रोही बताया था। इसके अलावा उन्होंने मथुरा में मांस और मदिरा के सेवन पर रोक का समर्थन किया था। महंत नरेंद्र गिरी ने इसके लिए कानून बनाने की मांग की थी। राम मंदिर के मुद्दे पर वे खुलकर बीजेपी सरकार का समर्थन करते थे। राम मंदिर निर्माण से वे बेहद खुश थे और इसके बारे में अपडेट लेते रहते थे। इसके अलावा आतंकवाद, जनसंख्या विस्फोट जैसे मुद्दों पर भी वे खुलकर अपनी राय रखते थे।
हर पार्टी के नेताओं से थे संबंध
नरेंद्र गिरी न सिर्फ धार्मिक क्षेत्र में प्रसिद्ध थे, बल्कि वे राजनीतिक सर्कल में भी लोकप्रिय थे। उनके दरवाजे पर हर पार्टी के नेता आते थे। यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव जब कुंभ स्नान के लिए आए थे तो उस वक्त महंत नरेंद्र गिरी उनके साथ थे। अखिलेश यादव के अलावा यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य भी उनके करीबियों में से थे।
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